दलित मीडिया वाच – हिंदी न्यूज़ अपडेट 28.11.15

 

बिन बुलाए शादी में पहुंचे दलित को पीट-पीट कर मार डाला, केस दर्ज – दैनिक भास्कर

http://www.bhaskar.com/news/PUN-LUD-HMU-dalit-killed-beating-5180099-NOR.html

शादी में खाना बनाने गए युवक को चाकू मारा – दैनिक भास्कर

http://www.bhaskar.com/news/MP-OTH-MAT-latest-damoh-news-030004-3105073-NOR.html

ग्रामीणों की समस्या पर ध्यान नहीं दे रहे सरपंच-सचिव – दैनिक भास्कर

http://www.bhaskar.com/news/MP-OTH-MAT-latest-hata-news-031559-3105068-NOR.html

किशोरी के साथ दुष्कर्म, आरोपी गिरफ्तार – दैनिक भास्कर

http://www.bhaskar.com/news/MP-OTH-MAT-latest-datia-news-030547-3105021-NOR.html

नहीं हो रहा स्कूल का नियमित संचालन – प्रभात खबर

http://www.prabhatkhabar.com/news/banka/story/627157.html

साहब! कल टूट जाएंगे आशियाने, कहां जाएं हम – अमर उजाला

http://www.amarujala.com/news/city/jhansi/jhansi-hindi-news/sir-asiane-come-down-tomorrow-where-we-visit-hindi-news/

संगठन विधानसभा अध्यक्ष के निवास का करेगा घेराव – दैनिक भास्कर

http://www.bhaskar.com/news/HAR-OTH-MAT-latest-yamunanagar-news-031029-3101286-NOR.html

दलित कर्मचारियों को रिवर्ट किए जाने पर कर्मचारी बैठे आम्ररण अनशन पर – फ़ास्ट खबर

http://www.khabarfast.com/view_news.php?newsid=2566&cat=headline#.VlkuhtIrJdg

दलितों ने CM के सामने रखी मांग, 5 एकड़ भूमि या 5 हजार रुपए हर महीने – दैनिक भास्कर

http://www.bhaskar.com/news/c-58-2789499-bp0828-NOR.html

ओडिशा : योजनाएं फ्लॉप, क़ानून बेअसर – चौथी दुनिया

http://www.chauthiduniya.com/2015/11/orissa-plans-flop-law-ineffective.html

Please Watch:

Sh. Sitaram Yechury’s comments

on the discussion on commitment to India’s constitution

https://www.youtube.com/watch?v=BFOdOGvjBvA

An Urgent Appeal:

Please register your contribution to PMARC for

Strengthening Democracy, Peace & Social Justice!

Only our collective effort can make it possible to carry forward our interventions.

 It is a challenge before each one of us

as equal stakeholder of PMARC.

दैनिक भास्कर

बिन बुलाए शादी में पहुंचे दलित को पीट-पीट कर मार डाला, केस दर्ज

http://www.bhaskar.com/news/PUN-LUD-HMU-dalit-killed-beating-5180099-NOR.html

 संगरूर। शादी में बिना बुलाए पहुंचे एक दलित को लोगों ने इतना पीटा कि उसकी घर पहुंचने पर मौत हो गई। पुलिस ने दो आरोपियों पर कत्ल का केस दर्ज कर छानबीन शुरू कर दी है। वीरवार शाम लहरगागा के गांव गागा के पंचायती पैलेस में शादी समागम चल रहा था, जिसमें पास की बस्ती के दलित परिवार से कुछ लोग भी बिना बुलाए शामिल हो गए थे। इसमें दिहाड़ी का काम करने वाला जरनैल सिंह (40) भी था।

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जरनैल के बेटे गुरदीप सिंह ने पुलिस को दी शिकायत में बताया कि जब वह पैलेस में गया तो गांव के दो व्यक्ति उसके पिता जरनैल सिंह से मारपीट कर रहे थे। वह अपने पिता को उनसे छुड़ा कर रेहड़ी में डालकर घर ले आया। रात के समय पिता की मौत हो गई। घटना का पता चलते ही डीएसपी दिड़बा मनजीत सिंह बराड़ और धर्मगढ़ एसएचओ गुरमीत सिंह पीड़ित परिवार के पास पहुंचे। डीएसपी मनजीत सिंह ने बताया कि पुलिस ने मृतक के बेटे गुरदीप सिंह के बयानों पर प्रगट सिंह और गुरतेज सिंह पर हत्या का मामला दर्ज कर लिया है। जरनैल िसंह की दो बेटियां और एक बेटा हैं। पीड़ित परिवार ने इंसाफ की गुहार लगाई है।

दैनिक भास्कर

शादी में खाना बनाने गए युवक को चाकू मारा

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दमोह|नगर के तीन गुल्ली निवासी लक्ष्मन पिता हल्कू आदिवासी 23 शुक्रवार को बड़ी देवी मंदिर में शादी का कार्यक्रम होने पर वहां खाना बनाने के लिए गया हुआ था। शादी में खाना का सिस्टम टोकन के माध्यम से था। इसमें आरोपी श्रीराम व उनके जीजा-साले द्वारा खाने के टोकन के विवाद को लेकर अारोपियों ने लक्ष्मन के साथ चाकू से मारपीट कर दी। घायल को जिला अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती कराया गया है। 

दैनिक भास्कर

ग्रामीणों की समस्या पर ध्यान नहीं दे रहे सरपंच-सचिव

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पथरिया। पथरिया जनपद पंचायत के अंतर्गत ग्राम पंचायत लखरौनी के हरिजन वार्ड में अभी से जलसंकट गहरा गया है। लोग पानी के लिए यहां-वहां भटक रहे हैं। इस मामले में ग्राम पंचायत द्वारा कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। जिससे परेशान लोगों ने एसडीएम एसके अहिरवार को ज्ञापन सौंपकर जलसंकट से छुटकारा दिलाने की मांग की है। परसू, रामप्रसाद ने बताया कि ग्राम में सालों से नल जल योजना बंद पड़ी है। हरिजन वार्ड में सबसे ज्यादा पानी की परेशानी हैं। यहां के दलित परिवार के लोग पानी के लिए यहां-वहां भटक रहे हैं। जिन्हें दो से तीन किमी दूर से पानी लाना पड़ रहा है। लोगों ने सरपंच सहित पूर्व में जनपद सीईओ को भी समस्या से अवगत कराया लेकिन कोई सुनने वाला नहीं है। ज्ञापन देने वालों में कपिल, सोनू, रोहित, संजू, नीलेश, घनश्याम, मुकेश, सुरेश सहित अन्य लोग मौजूद थे।

भास्कर संवाददाता। हटा

ग्राम पंचायतों में शासन के निर्देश के बावजूद भी नियमों का कोई पालन नहीं हो रहा है। सहायक विकासखंड अधिकारी एनएल अहिरवार ने पटेरा जनपद पंचायत की ग्राम पंचायत सिंगपुर का दौरा किया तो वहां पर ग्रामीणों ने अनेक समस्याएं बताईं। गांव की किरण राजपूत, मरलती दुबे ने बताया कि उनके ग्राम में जगह-जगह गंदगी का अंबार लगा है। साफ सफाई के लिए ग्राम सभा भी नही हुई, न ही इस मामले पर सरपंच सचिव कोई ध्यान दे रही हैं। वहीं गांव की पुष्पा,अंजू बाई, अमोल सिंह, गौरी बाई, रामवत्ती, रोहित सिंह आदि का कहना है कि उनके ग्राम में बना ग्राम पंचायत भवन का महिनो ताला नही खुलता है। तो हम अपनी समस्या किसे सुनाएं। जितेन्द्र सिंह, इन्द्रजीत सिंह ने बताया कि ग्राम की संरपच हमेशा ही ग्राम के कार्यो में अनुपस्थित रहती हैं, उसके बदले उनके पति नरेंद्र परिहार सभी कार्यो पर जबरन दखल अंदाजी कर कार्यों को प्रभावित करते हैं। पेंशनधारी लखन सिंह, कन्हैया, नन्नू, लक्ष्मी बाई, सवित्री, ममता रानी, लाखन सिंग, कन्हैया लाल आदि ने लिखित शिकायत में बताया कि उन्हें सात माह से पेंशन नहीं मिल रही है। ग्राम पंचायत इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रही। 

इस संबंध में सहायक विकासखंड अधिकारी एनएल अहिरवार का कहना है कि ग्राम भ्रमण में समस्या को नोट किया गया है जिसके आधार पर व मौजूदा लोगों के बयानों पर पंचनामा तैयार किया गया है जिसे संबंधित कार्यालय जनपद पंचायत सीईओ को भेजा जाएगा।

दैनिक भास्कर

किशोरी के साथ दुष्कर्म, आरोपी गिरफ्तार

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दतिया| जिगना थाना क्षेत्र के ग्राम कटीली में शुक्रवार सुबह सात बजे नहर में शौच के लिए गई दलित किशोरी के साथ गांव के ही एक युवक ने दुष्कर्म कर दिया। किशोरी की रिपोर्ट पर पुलिस ने आरोपी के खिलाफ दुष्कर्म का मामला दर्ज कर आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है। जानकारी के अनुसार ग्राम कटीली निवासी 17 वर्षीय किशोरी ने रिपोर्ट दर्ज कराई कि वह शुक्रवार सुबह सात बजे नहर में शौच के लिए जा रही थी तभी गांव के ही इस्ताक मुसलमान ने उसके साथ दुष्कर्म कर दिया। 

 प्रभात खबर

नहीं हो रहा स्कूल का नियमित संचालन

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बांका : फुल्लीडुमर प्रखंड क्षेत्र स्थित टेगपाजा प्रो मध्य विद्यालय में विद्यालय प्रधान की अपनी मरजी चलती है. इनके अनुसार ही विद्यालय का संचालन किया जाता है. ग्रामीणों ने नाम नहीं छापने पर बताया कि यह क्षेत्र आदिवासी बाहुल्य है. शिक्षा का अभाव है जिसका फायदा विद्यालय के शिक्षक उठाते हैं.

ये ना तो समय पर विद्यालय को संचालित करते हैं न ही सरकारी योजनाओं का लाभ बच्चों को देते हैं. विद्यालय खोलने का जो समय है उसके अनुसार शिक्षक व शिक्षिका उपस्थित नहीं रहते. साथ ही समय के पूर्व ही विद्यालय छोड़कर अपने घर की ओर प्रस्थान कर जाते हैं. विभागीय पदाधिकारी विद्यालय का निरीक्षण नहीं करते हैं.

विभाग की नजर रहती तो बच्चों को अच्छी शिक्षा मिलती. कहते हैं डीइओ इस संबंध में डीइअो अभय कुमार ने बताया कि अगर विद्यालय प्रधान की इस तरह की मनमानी चल रही है तो इसके लिए प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी को निर्देश दिया जायेगा.

साथ ही विद्यालय में छापेमारी कर दोषी शिक्षक के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की जायेगी. -बैंक जल्द खोलें बच्चों का खाता : डीइअोबांका. सरकार द्वारा विभिन्न सरकारी स्कूलों में छात्र-छात्राओं के हित में चलायी जा रही योजनाओं को धरातल पर उतारने में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.

इस संबंध में जिला शिक्षा पदाधिकारी अभय कुमार ने बताया कि जिले के विभिन्न प्रखंड क्षेत्र स्थित अलग-अलग बैंकों में छात्र-छात्राओं का उनके परिजनों के साथ ज्वाइंट खाता खोलवाना है, जो शून्य बैलेंस पर ही खोला जायेगा. यह निर्देश सरकार की ओर से है. लेकिन इन दिनों शाखा प्रबंधक कार्य करने में कोताही बरत रहे हैं.

उनके द्वारा खाता खोला नहीं जा रहा है. मालूम हो कि सरकार की योजनाएं साइकिल, पोशाक, छात्रवृति, पोशाक सहित अन्य की राशि सीधे बैंक खाते में ही आनी है. ताकि योजनाओं में बरती जा रही अनियमितता व बिचौलिया संस्कृति पर अंकुश लग सके. श्री कुमार ने सभी शाखा प्रबंधकों को शून्य बैलेंस पर जल्द खाता खोलने को कहा है.

 अमर उजाला

साहब! कल टूट जाएंगे आशियाने, कहां जाएं हम

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झांसी। तालपुरा में नवीन तहसील भवन के पास बनी झोपड़-पट्टी रविवार को हटाया जाना प्रस्तावित है। प्रशासन के इस एक्शन से इन झोपड़ पट्टी वासियों की नींद उड़ी हुई है। अपना आशियाना बचाने यह गरीब हर अफसर के दफ्तर की चौखट पूजते घूम रहे हैं, लेकिन कहीं भी इन्हें राहत भरा आश्वासन तक नहीं मिला।

वार्ड संख्या 12 तालपुरा में बने नवीन तहसील भवन के पास दर्जनों दलित और आदिवासी परिवार झोपड़-पट्टी में रहते हैं। तहसील कार्यालय का स्थानांतरण झोपड़-पट्टी होने के कारण नहीं हो पा रहा है। प्रशासन ने झोपड़-पट्टी के लोगों को चेतावनी दी है कि शनिवार तक अपना सामान हटा लें, अन्यथा रविवार को बल पूर्वक हटा दिया जाएगा। प्रशासन की चेतावनी से घबराए लोगों ने अफसरों से फरियाद की।

अधिकारियों का कहना है कि आईएचएसडीपी योजना के करारी में 144 भवन बनाए जा रहे हैं, इनमें से 72 लगभग तैयार हैं, इन लोगों को यहां शिफ्ट किया जा सकता है। लेकिन, यह लोग जाने को तैयार नहीं है। झोपड़-पट्टी में रहने वाले सुनील का कहना है कि हम कबाड़ बीन कर, मजदूरी कर अपना जीवकोपार्जन करते हैं। प्रतिदिन सौ से डेढ़ सौ रुपये की ही आय होती है।

करारी में रहने से वहां रोजगार नहीं मिलेगा और झांसी आने जाने में पचास से साठ रुपये प्रतिदिन खर्च होंगे, जिसकी मार हमारे पेट पर पड़ेगी। उन्होंने अधिकारियों को पत्र देकर राजीव आवास योजना के तहत आवास आवंटित कराने के लिए प्रार्थनापत्र दिया है। पत्र में मुन्नी, देशराज, गुड्डो, पूजा वर्मा, मुकेश, सुनीता, मलकी, राधा देवी, पार्वती, संतोषी, सोहन, अनिल आदि के हस्ताक्षर हैं।

मंडलायुक्त के निर्देश पर झोपड़-पट्टी के लोगों को आईएचएसडीपी योजना के तहत आवास दिये जाने की संस्तुति की गई थी, लेकिन यह लोग करारी जाने को तैयार नहीं है। राजीव आवास योजना में उन्हीं लोगों के मकान बनाए जाते हैं, जिनके पास अपनी जमीन हो। इन लोगों के पास जमीन नहीं है, इस कारण इन्हें राजीव आवास योजना से लाभ नहीं दिया जा सकता है।

पंकज कुमार श्रीवास्तव, परियोजना अधिकारी, जिला नगरीय विकास अभिकरण

 दैनिक भास्कर

संगठन विधानसभा अध्यक्ष के निवास का करेगा घेराव

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यमुनानगर | आलहरियाणा शेड्यूल कास्ट इंप्लाइज फेडरेशन की मीटिंग जिला प्रधान सतपाल की अध्यक्षता में स्थानीय पीडब्ल्यूडी रेस्ट हाउस हुई। जिसमें जिला प्रधान ने बताया कि 29 नवंबर को अनुसूचित जाति कर्मचारी संगठन सरकार की दलित विरोधी नीतियों के विरोध में शहर में प्रदर्शन होंगे। उसके बाद विस अध्यक्ष अध्यक्ष कंवरपाल गुर्जर के निवास का घेराव कर ज्ञापन सौंपा जाएगा। उन्होंने कहा कि प्रतिदिन दलित समाज पर अत्याचार हो रहे हैं उनकी सुनवाई नहीं हो पा रही है। दलितों को समाज में सामान्य जन मानकर कहीं उनके घरों को आग लगा दी जाती है तो कहीं उन पर गांवों से निकाला जा रहा है।

इसी प्रकार आज अनुसूचित जाति के संवैधानिक अधिकारों का हनन किया जा रहा है जिसमें हजारों का बैकलॉग, सरकारी संस्थाओं को प्राइवेट किया जाना, पदोन्नतियों में आरक्षण पर रोक, 85वां संविधान संशोधन पूर्ण रूप से लागू होना जैसे कार्यों पर सरकार का कोई ध्यान दिया जाना इस बात को दर्शाता है कि सरकार दलित विरोधी और गैर संविधानिक रुप से काम कर रही है। मौकेपर फेडरेशन के सचिव बलदेव राज, बनारसी दास, मुकेश कुमार, जय कृष्ण, रविकांत, राज कुमार, राजेश, चांद राम, संजीव खदरी, विजेंद्र कुमार, सोहनलाल, कमलदेव, पवन कुमार बनारसी दास मौजूद रहे।

फ़ास्ट खबर

दलित कर्मचारियों को रिवर्ट किए जाने पर कर्मचारी बैठे आम्ररण अनशन पर

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हिसार: सरकार ने कुछ कर्मचारियों के हुए प्रमोशन को रिवर्ट कर दिया है। अर्थात कर्मचारी के प्रमोशन को अमान्य करते हुए उन्हे पहले के पद ही कार्यरत किया गया है। इस पर दलित कर्मचारियों ने सरकार के इस फैसले का विरोध करना शुरू कर दिया है। दलित कर्मचारियों व दलित समाज के लोगों ने  हिसार के लघु सचिवालय में आम्ररण अनशन शुरू कर दिया है। कर्मचारियों का साफ कहना हैं जब तक सरकार कर्मचारियों को रिवर्ट करने के फैसले को वापिस नहीं लेती है तब तक आम्ररण अनशन जारी रहेगा।

दलित कर्मचारी संगठन के मुख्य सलाहकार राजेश कुमार ने बताया कि प्रदेश सरकार दलित कर्मचारियों हुए प्रमोशन को रिवर्ट करने का फैसला लिया है जो गलत है। हम इसका विरोध करते है। जिस कर्मचारी का दस वर्ष पहले चपड़ासी से प्रमोशन हो कर क्लर्क बना दिया गया था। उन्हे फिर से चपड़ासी के पद रखा जा रहा है और उनसे सैलरी भीरिकवर की जा रही है। उन्होने सरकार पर दलितों के साथ भेदभाव का आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार और पुलिस प्रशासन हमेशा से ही दलित समाज के लोगों से भेदभाव करती आ रही है।

दलित कर्मचारी संगठन के मुख्य सलाहकार राजेश कुमार ने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि जब तक सरकारी कर्मचारियों के प्रमोशन मे रिवर्ट करने के फैसले को वापिस नहीं लेती है। तब तक आम्ररण अनशन जारी रहेगा

 दैनिक भास्कर

दलितों ने CM के सामने रखी मांग, 5 एकड़ भूमि या 5 हजार रुपए हर महीने

http://www.bhaskar.com/news/c-58-2789499-bp0828-NOR.html

 भोपाल। मध्य प्रदेश के दलितों ने प्रदेश सरकार से 5 एकड़ जमीन या हर महीने प्रति परिवार को 5 हजार रुपए हर महीने भत्ता देने की मांग की है। राष्ट्रीय दलित महासभा के बैनर तले एक हजार से ज्यादा लोग शुक्रवार को अंबेडकर मैदान में धरने पर पहुंचे। वे अपनी 10 सूत्रीय मांगों को लेकर भोपाल में प्रदर्शन कर रहे थे।

शुक्रवार सुबह महासभा के नेशनल जरनल सेक्रेट्री संजय भारती मुख्यमंत्री से मिले। उन्होंने अपनी मांग के समर्थन में कहा कि, मंत्रियों और नेताओं के पास हजारों एकड़ भूमि है। दलितों को उसमें से जमीन दी जानी चाहिए। हालांकि यह बातचीत बेनतीजा रही।

भारती ने बताया कि, इस आंदोलन में मप्र के 25 जिलों से आदिवासी भोपाल पहुंचे थे। उन्होंने चेतावनी दी कि हालांकि,अभी आदिवासी वापस अपने-अपने घरों को रवाना हो गए हैं, लेकिन अगले महीने फिर यहां आएंगे।

इससे पहले सैकड़ों आंदोलनकारी संविधान दिवस मनाने के लिए सेकंड स्टॉप स्थित अंबेडकर पार्क पर इकट्ठा हुए। पार्क में ही लोगों ने खाना पकाया और नहाया-धोया।

गुरुवार को लगाया था जाम…

गुरुवार को आंदोलनकारी अंबेडकर प्रतिमा पर माल्यार्पण करने के बहाने बोर्ड ऑफिस चौराहे पर आए और सड़क पर बैठ गए। इससे यहां से गुजरने वाले वाहन चालक ट्रैफिक जाम से परेशान होते रहे। शाम करीब पांच बजे से सड़क पर बैठे लोगों के सामने पुलिस-प्रशासन लाचार सा बना रहा। करीब पांच घंटे बाद एसपी और एडीएम ने उन्हें समझाइश दी तो वे वापस अंबेडकर पार्क जाने के लिए तैयार हुए।

यह है मांग

महासभा के राष्ट्रीय महासचिव संजय भारती का आरोप है कि दलित भूमिहीन आदिवासी बीते 5-6 वर्षों से पांच-पांच एकड़ जमीन की मांग कर रहे हैं। जमीन पर पट्टा दिलाने को लेकर मुख्यमंत्री भी उन्हें भरोसा दिला चुके हैं, फिर भी उनकी मदद नहीं की। संजय ने कहा कि हम अपना अधिकार मांगने के लिए इकट्ठा हुए थे।

 चौथी दुनिया

ओडिशा : योजनाएं फ्लॉप, क़ानून बेअसर

http://www.chauthiduniya.com/2015/11/orissa-plans-flop-law-ineffective.html

पूर्ण टाकरी (40), नेपाल टाकरी (35), श्याम करकरिया (45) एवं बली करकरिया (35) दलित समुदाय से हैं, वहीं दासरू काटरका (32), दधि पुसिका (65) एवं लक्ष्मण पुसिका (35) डोंगरिया आदिवासी समुदाय से हैं. ये सभी राज्य के अनुसूचित जनजाति बाहुल्य ज़िले रायगढ़ा के मुनिगुड़ा ब्लॉक की ग्राम पंचायत मुनिखोल निवासी हैं. डोंगरिया समुदाय नियमगिरि श्र्ृंखला के पहाड़ों के ऊपर रहता है, वहीं दलित समुदाय पहाड़ के नीचे समतल इलाकों में. समतल में रहने वाले आदिवासियों को कुटियाकुंद कहा जाता है. लद्दू सिकोका (45) एवं नवधन बरक्का (38) कुरली पंचायत के डोंगरिया समुदाय से हैं, जो रायगढ़ा ज़िले के विसमकटक ब्लॉक मुख्यालय से 15-20 किलोमीटर ऊपर पहाड़ में निवास करता है. लद्दू नियमगिरि पहाड़ को वेदांता कंपनी के हाथों में सौंपने के खिला़फ सफल आंदोलन चलाने वाली नियमगिरि सुरक्षा समिति के रायगढ़ा के अध्यक्ष हैं, जबकि नवधन ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर नियमगिरि इलाके की 12 पंचायतों में ग्रामसभा की उन बैठकों में दुभाषिए का काम किया था, जो ज़िला जजों की निगरानी में हुई थीं और जिनमें नियमगिरि पहाड़ को बॉक्साइट खनन के लिए वेदांता को न सौंपने का ऐतिहासिक फैसला किया गया था. नियमगिरि पहाड़ रायगढ़ा एवं कालाहांडी यानी दो ज़िलों में फैला है, इसलिए आंदोलन भी दोनों जगह चल रहा है.

भारत सरकार और यूएनडीपी की ओर से विकेंद्रीकरण की दिशा में उठाए जा रहे क़दमों के बीच ओडिशा में केंद्रीय योजनाओं एवं क़ानूनों की स्थिति पर किए गए एक अध्ययन में बताया गया है कि दलितों एवं आदिवासियों के साथ आम निवासी भी इलाके में 1996 से लागू पेसा (पंचायत एक्सटेंशन टू शेड्यूल्ड एरिया) क़ानून को नहीं जानते. वे 2006 से लागू वनाधिकार क़ानून जानते हैं, लेकिन उसके प्रावधानों के बारे में न उनकी कोई रुचि है और न ठीक से जानकारी. पेसा क़ानून के तहत इलाके में ग्रामसभा होते उन्होंने न कभी देखी और न सुनी. पेसा क़ानून में स्थानीय रीति-रिवाजों (कस्टमरी लॉज) को स्थान दिया गया है. इसके तहत समुदायों को परंपरानुसार सभा और व्यवहार करने का प्रावधान है, लेकिन लोगों को इसकी जानकारी नहीं है और न इस संबंध में सरकार की ओर से कोई जागरूकता कार्यक्रम चलाया जाता है. जागरूकता कार्यक्रमों के नाम पर कुछ ग़ैर सरकारी संगठनों द्वारा स़िर्फ खानापूर्ति की जाती रही है. पेसा क़ानून 1996 में संसद द्वारा पारित कर नौ राज्यों के आदिवासी बाहुल्य इलाकों पर लागू किया गया. इलाके में केंद्र द्वारा संचालित डोंगरिया समुदाय विकास एजेंसी (डीसीडीए) एवं कुटियाकुंद समुदाय विकास एजेंसी (केकेडी) मौजूद हैं, लेकिन उनकी भी कोई सक्रियता इस दिशा में नहीं है. वनाधिकार क़ानून के बारे में लोगों के बीच भ्रम है कि वह केवल आदिवासियों के लिए है, अन्य वनवासियों के लिए नहीं. इसलिए आदिवासियों को छोड़कर अन्य किसी जाति-वर्ग के शख्स ने जंगल में पट्टे के लिए कभी आवेदन नहीं किया. आदिवासियों ने भी बहुत कम संख्या में आवेदन किए.

ग्राम पंचायत मुनिखोल के आदिवासी सरपंच मालती कटरका (28) कहते हैं कि पहाड़ी इलाकों में जगह बदल कर खेती करने का रिवाज  है यानी दो साल एक जगह खेती, तो अगले दो साल जंगल में दूसरी जगह खेती, लेकिन वनाधिकार क़ानून में पट्टा एक जगह का मिलता है. ऐसे में पट्टा लेने के बाद  परेशानी होगी. यही नहीं, विभिन्न सरकारी विभागों की उपेक्षा के चलते भी लोग पट्टे के लिए आवेदन नहीं करते. अतीत में कुछ आदिवासियों ने जिस जगह का पट्टा मांगा, वन विभाग एवं तहसील ने उसके बदले उन्हें दूसरी जगह का पट्टा दे दिया, जिसकी पहचान भी आदिवासियों के लिए मुश्किल हो गई. इलाके के डोंगरिया एवं कुटियाकुंद आदिवासी समुदाय परंपरानुसार सामुदायिक रूप से निवास करते हैं. उनके यहां किसी संपत्ति का निजी स्वामित्व नहीं होता, बल्कि वह पूरे समुदाय की होती है. जंगल हो या खेत, उसे सार्वजनिक रूप से इस्तेमाल किया जाता है. लोग सामूहिक खेती करते हैं और सामूहिक रूप से वनोपज का इस्तेमाल. जबकि वनाधिकार क़ानून में निजी तौर पर पट्टा आवंटन का प्रावधान है. आदिवासियों को लगता है कि यह क़ानून उनमें फूट डालने की सरकारी साज़िश है. वे कोई भी संपत्ति या अधिकार व्यक्तिगत के बजाय सामुदायिक तौर पर चाहते हैं. ऐसे में इस क़ानून के प्रति उनमें घोर अनिच्छा दिखती है.

इलाके में जंगल से वनोपज, बांस या सूखी लकड़ी लेने से आदिवासियों को आज तक किसी सरकारी महकमे ने नहीं रोका और न उन्हें कभी पुराने वन क़ानून (1927) से कोई समस्या हुई. इलाके में इंदिरा आवास योजना की हालत भी दयनीय है. कई लोगों को काफी पहले योजना का लाभ तो मिला, लेकिन उनके घर नहीं बने. दलितों एवं सामान्य बीपीएल समुदायों के लिए इंदिरा आवास योजना अलग है, तो डोंगरिया एवं कुटियाकुंद समुदाय को पीटीजी (प्रीमिटिव ट्राइबल गु—प) के तहत इसकी धनराशि स्वीकृत होती है. पहाड़ के ऊपरी इलाकों में घर बनाने के लिए ईंट, सीमेंट एवं बालू आदि पहुंचाना कठिन है, क्योंकि ऊपर स़िर्फ पैदल जा सकते हैं. ऐसे में योजना के तहत मिलने वाली धनराशि का दुरुपयोग बड़े पैमाने पर हो रहा है. लोग उसका इस्तेमाल दूसरे कामों में कर लेते हैं. एक तथ्य यह भी है कि आदिवासी घर बनाने के लिए जंगली लकड़ियां एवं स्थानीय संसाधन इस्तेमाल करते हैं, वहीं इंदिरा आवास योजना में घर निर्माण के मानक तय हैं. यही स्थिति कालाहांडी ज़िले के लांजीगढ़ ब्लॉक अंतर्गत आने वाली पंचायतों की है. लांजीगढ़ पंचायत के दलित सदानंद नायक, पिछड़े वर्ग के सुरेंदर दंडसेना एवं कुटियाकुंद समुदाय के गुमटी मांझी पेसा क़ानून नहीं जानते. मनरेगा में उनकी कोई रुचि नहीं, क्योंकि भुगतान कई महीने बाद होता है.

यहां स्थित वेदांता के प्लांट में उन्हें काफी काम मिल जाता है. गुमटी मांझी (62) एवं राजेंद्रपुर की पूर्व सरपंच फूल्मे मांझी (35) 2006 में एक्शन एड द्वारा प्रायोजित कार्यक्रम में लंदन गए थे और उन्होंने वहां वेदांता के मालिक अनिल अग्रवाल से नियमगिरि खनन को लेकर बातचीत की थी. फूल्मे कहती हैं कि मनरेगा जैसी योजनाएं यहां फ्लॉप हैं. पेसा क़ानून बेअसर है. हां, वनाधिकार क़ानून के तहत कुछ लोगों को पट्टे मिले हैं और इंदिरा आवास भी बन रहे हैं, लेकिन समस्याएं बहुत हैं. विसमकटक ब्लॉक के बीडीओ राजीव कुमार बोहरा कहते हैं कि इंदिरा आवास के कुछ मामले लंबित हैं, क्योंकि दो साल पहले लोगों ने धनराशि तो ली, लेकिन घर नहीं बनाए. अगर लोग पुराना पैसा वापस करते हैं, तो उन्हें नए सिरे से योजना का लाभ दिया जाएगा. नियमगिरि सुरक्षा आंदोलन के नेता लिंगराज आज़ाद कहते हैं कि आवास योजनाओं के तहत जनजातियों के पारंपरिक मकानों को स्वीकृति मिलनी चाहिए, वनाधिकार क़ानून भी स्थानीय समस्याओं के अनुरूप बनना चाहिए. यही राय ओडिशा गांधी निधि के सदस्य सुरेश संग्राम भी रखते हैं.

News Monitored by Kuldeep Chandan & Kalpana Bhadra

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