पुलिस-दबंगों से तंग आकर दलित युवक ने की खुदकुशी – ए बी पी न्यूज़
http://abpnews.abplive.in/crime/2015/10/26/article748431.ece/Dalit-men-commit-suicide-in-Hisar
एससी-एसटी का मामला दर्ज, मां-बेटी की टांके में गिरने से मौत – दैनिक भास्कर
http://www.bhaskar.com/news/RAJ-OTH-MAT-latest-balotra-news-044549-2906555-NOR.html
सूखे को नहीं पता मराठा और दलित का भेद – बी बी सी हिंदी
http://www.bbc.com/hindi/india/2015/10/151020_drought_series_marathwada_rd
जजों की नियुक्ति में एससी-एसटी का कोटा भी लागू हो : मेघवाल – दैनिक भास्कर
http://www.bhaskar.com/news/RAJ-JHUN-MAT-latest-jhunjhunu-news-031553-2909670-NOR.html
सोजत | राजस्थानमरुधरा ग्रामीण बैंक अनुसूचित जाति-जनजाति कर्मचारी कल्याण समिति – दैनिक भास्कर
http://www.bhaskar.com/news/RAJ-OTH-MAT-latest-sojat-news-062146-2910375-NOR.html
अनुसूचित जाति, जनजाति का खुले छात्रावास – दैनिक भास्कर
http://www.bhaskar.com/news/RAJ-OTH-MAT-latest-nasirabad-news-034555-2910224-NOR.html
Save Dalit Foundation:
Educate, agitate & organize! – Dr. Ambedkar.
Let us all educates to agitate & Organize to Save Dalit Foundation !
Please sign petition for EVALUATION of DF by click this link : https://t.co/WXxFdysoJK
ए बी पी न्यूज़
पुलिस-दबंगों से तंग आकर दलित युवक ने की खुदकुशी
http://abpnews.abplive.in/crime/2015/10/26/article748431.ece/Dalit-men-commit-suicide-in-Hisar
नई दिल्ली/हिसार: हाल ही में हरियाणा के सोनीपत में 15 वर्षीय दलित युवक की हत्या के बाद हरियाणा के हिसार से एक और दलित की मौत की खबर आई है. हरियाणा के हिसार में शनिवार को बदन सिंह नाम के एक दलित युवक ने पेड़ से लटककर खुदकुशी कर ली.
बदन सिंह ने अपने सुसाइड नोट में अपनी मौत के लिए गांव के कुछ दबंगों और पुलिसवालों को कसूरवार ठहराया है.
बदन सिंह के भाई गुरचरण सिंह ने दबंगों के अत्याचार के बाद 8 अक्टूबर को खुदकुशी कर ली थी. बदन सिंह इस मामले का चश्मदीद गवाह था और आरोपी उसे बयान बदलने के लिए लगातार धमकी दे रहे थे.
बदन सिंह को लगातारा धमकियां मिल रही थी कि अगर वो बयान नहीं बदलता तो उसका हाल उसके भाई से भी बुरा कर दिया जाएगा.
पुलिस ने इस मामले में तीन लोगों को गिरफ्तार किया है, वहीं लापरवाही बरतने के आरोप मे दो पुलिसकर्मियों को निलंबित भी कर दिया है.
पूरे मामले में पुलिस जाँच में जुटी है. डीएसपी जयपाल का कहना है कि सुसाइड नोट के आधार पर कार्रवाई की जाएगी. सुसाइड नोट के आधार पर ही कार्रवाई करते हुए थाना प्रभारी और आइओ को निलम्बित कर दिया गया है.
जबकि आइपीएस अधिकारी एएसपी हाँसी के ख़िलाफ़ विभागीय करवाई की जाएगी साथ ही मामले की जाँच के लिए ५ सदसिय एस आइ टी गठित की गई है.
दैनिक भास्कर
एससी-एसटी का मामला दर्ज, मां-बेटी की टांके में गिरने से मौत
http://www.bhaskar.com/news/RAJ-OTH-MAT-latest-balotra-news-044549-2906555-NOR.html
बालोतरा। स्थानीय थाने में एससी-एसटी का मामला दर्ज हुआ। पुलिस के अनुसार कानाराम पुत्र लक्ष्मण राम भील निवासी सिमालिया ने रिपोर्ट दर्ज कराई है कि अमरसिंह पुत्र हेमसिंह राजपूत निवासी सिमालिया वगैरह 4 जनों ने एकराय हमलावर होकर उसका रास्ता रोककर मारपीट की। पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू की।
मां-बेटी की टांके में गिरने से मौत
बायतु। माधासर गांव में शुक्रवार शाम टांका में डूबने से मां-बेटी की मौत हो गई। पुलिस के अनुसार ममता (31) उसकी पुत्री जसीयो (2) की टांके में गिरने से मौत हो गई। मृतका का पति टीकमाराम बायतु स्कूल में व्याख्याता हैं। घटना के दौरान घर पर कोई नहीं था।
बी बी सी हिंदी
सूखे को नहीं पता मराठा और दलित का भेद
http://www.bbc.com/hindi/india/2015/10/151020_drought_series_marathwada_rd
मराठवाड़ा में उस्मानाबाद ज़िले के गांव गोजवाड़ा में आपको सूखे की वजह से दरकी हुई ज़मीन मिलेगी तो दरके हुए इंसानी रिश्ते भी मिलेंगे.
सूखे की स्थिति का आकलन करने के लिए की गई संवेदना यात्रा के संयोजक योगेंद्र यादव के साथ जब हम उस्मानाबाद ज़िले के इस गांव में घुसे तो इतना तो साफ़ था कि अगर मराठों को खेतों में पानी चाहिए तो दलितों को भी पानी की ज़रूरत है.
फिर भी दलितों को अपनी या सरकारी ज़मीन पर खेती की इजाज़त नहीं.
‘अकाल यात्रा‘ के दूसरे रिपोर्ताज यहां पढ़ें.
गोजवाड़ा गांव में मराठों और दलितों का अनुपात 80 और 20 का है. ज़्यादातर दलितों के पास अपनी ज़मीन नहीं है और वह सवर्णों के खेत में मज़दूरी करते हैं. अगर पेट भरने के लिए वह ख़ाली पड़ी सरकारी (गायरान) ज़मीन पर खेती करते हैं तो झगड़े होते हैं.
गांव के अशोक वासुदेव तोड़कर बताते हैं कि दलित 1976 से गायरान ज़मीन खेती के लिए मांग रहे हैं. मगर कभी प्रशासन के एक आदेश में उन्हें इजाज़त मिलती है तो दूसरे में छीन ली जाती है.
अशोक कहते हैं, “दो साल से सूखा है तो कुछ लोग मुंबई या दूसरे शहरों में चले गए हैं. पीने के पानी की बड़ी समस्या है. दलित बस्ती में सिर्फ़ एक बोर है और उसमें पानी नहीं निकलता क्योंकि वो 500 फ़ीट की गहराई पर है.”
“हमें गांव के हाथ-पांव जोड़कर सवर्णों के खेतों से पानी लाना पड़ता है. हमारे बच्चे-बेटियों को दो-ढाई किलोमीटर जाकर पानी सिर पर रखकर लाना पड़ता है.”
असल में बारिश न होने से जो सूखा पड़ा उसमें रही-सही खेती भी चली गई है.
महादेव विट्ठल उन कुछ दलितों में हैं जिनके पास थोड़ी सी खेती है. उन्होंने मुंबई में मज़दूरी करके कमाए पैसे से गांव में 30 गुंटा ज़मीन ली थी, लेकिन उसमें भी परिवार का ख़र्च नहीं चलता. तब उन्होंने सरकारी ज़मीन पर खेती शुरू की पर उसमें गांववालों ने जानवर छोड़ दिए.
वह बताते हैं, “क्या करें, ग़रीब हैं. अब बारिश नहीं हुई तो अनाज भी नहीं. अब दूसरों के खेतों में मज़दूरी करनी पड़ती है. औरतों को सवा सौ रुपए और मर्दों को 150-200 रुपए तक मिलते हैं. जब तुम्हारी खेती में हमारा जानवर चला गया तो मारपीट करते हैं और जब हमारी खेती में तुम्हारा आ गया तो कैसे करेंगे. गांव के आगे कैसे करेंगे. अगर एक दो आदमी को मार दिया तो क्या करेंगे. ग़रीब डरपोक हैं ना. ग़रीब का कोई दाद फिराद नहीं.”
महादेव पर क़र्ज़ भी है जिसकी वजह से कुछ महीने पहले उनके एक बेटे ने ख़ुदकुशी कर ली थी.
वह साफ़ कहते हैं, “गांव नहीं चाहता कि मेरी खेती रहे. अगर मेरी खेती होगी तो उनका काम कौन करेगा.”
दलित बस्ती की महिलाएं भी कहती हैं कि सूखे से बेशक मराठा समाज भी परेशान है पर उनकी दिक़्क़तें दोगुनी हैं.
अश्विन भारतगोड़े के पति मज़दूरी करते हैं. वह बताती हैं, “मज़दूरी करके अपना ख़र्च चलाते हैं. मैं और पति दोनों मज़दूरी के लिए जाते हैं. मुझे 100 रुपए और आदमी को 150 रुपए मिलते हैं. लेकिन हर दिन काम नहीं मिलता. मेरे बच्चों को घर के बुज़ुर्ग देखते हैं.”
इसी दलित समाज की ज्योति मिट्ठुलोंडे पहली लड़की हैं, जो ग्रेजुएशन की पढ़ाई कर रही हैं और पढ़ने के लिए वाशी में मौजूद कॉलेज जाती हैं. उन्हें इसके लिए अपने पति और परिवार से पूरा समर्थन हासिल है.
जब मैंने पूछा कि वह क्यों पढ़ रही हैं तो उनका कहना था, “पढ़ने के बाद अपने समाज के लिए कुछ करूंगी. मैं अपने समाज को आगे बढाना चाहती हूं. पानी की समस्या है. यहां के लोगों के घर पर छत नहीं है, खेत नहीं है, काम भी कभी मिलता है, कभी नहीं मिलता. हम अपनी मांगें उठाएंगे.”
और ज्योति ने बीए में विषय लिए हैं – राजनीति शास्त्र और इतिहास. मैंने पूछा कि यही विषय क्यों, तो बोलीं- इनसे जानकारी मिलती है.
तो मराठा लोग दलितों के बारे में क्या सोचते हैं? यह जानने के लिए मैंने देवीचंद थोरबोले से बात की. देवीचंद वैसे 5 एकड़ खेत के किसान हैं लेकिन बारिश नहीं हुई तो उनकी खेती भी सूख गई है. अब वह ड्राइवर बन गए हैं.
वह कहते हैं, “मेरा कहना है कि इन्हें (दलितों को) दो-दो चार-चार एकड़ ज़मीन मिलनी चाहिए लेकिन मैं बाक़ी लोगों की ओर से नहीं कह सकता. क्योंकि सब तरह के लोग गांव में रहते हैं.”
असल में दलित दो मोर्चों पर एकसाथ जूझ रहे हैं. मगर उनके सामने सवाल है कि वह पहले सूखे से लड़ें या गांववालों से, क्योंकि सूखा तो दोनों का ही दुश्मन है.
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दैनिक भास्कर
जजों की नियुक्ति में एससी-एसटी का कोटा भी लागू हो : मेघवाल
http://www.bhaskar.com/news/RAJ-JHUN-MAT-latest-jhunjhunu-news-031553-2909670-NOR.html
पूर्वशिक्षा मंत्री मास्टर भंवरलाल मेघवाल ने कहा कि हाईकोर्ट एवं सुप्रीम कोर्ट जजों की नियुक्ति में एससी-एसटी का कोटा लागू होना चाहिए। वे रविवार को मेघवंशीय समाज चेतना संस्थान के संस्थापक बीएल चिराणिया की स्मृति में अंबेडकर भवन में हुए मेघवाल समाज सम्मेलन तथा प्रतिभा सम्मान समारोह को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि इसके लिए मुहिम चलाई जाएं। झुंझुनूं को शिक्षा समेत हर क्षेत्र में सिरमौर बताते हुए पूर्व मंत्री मेघवाल ने कहा कि समाज को आगे बढ़ाने के लिए बुराइयों को त्यागकर सुधार को अमल में लाना होगा।
मुख्य अतिथि एससी-एसटी आयोग चेयरमैन सुंदरलाल ने कहा कि संगठन को मजबूत बनाकर पंचायत स्तर पर कार्यालय खोलकर लोगों की सेवा की जाएं। उन्होंने मिशन जागृति पुस्तक का विमोचन किया। मेघवाल महासभा के प्रदेशाध्यक्ष पेंशन विभाग के संयुक्त निदेशक इंद्राजसिंह ने कहा कि आरक्षण को खत्म करने की साजिश रची जा रही है। गुर्जर समाज की बेटियों को स्कूटी दी जा रही है एससी की बेटियों को साइकिल भी नहीं मिल रही है। उन्होंने कहा कि प्राइवेट सेक्टर में आरक्षण दिया जाएं। भूमिहीन दलितों को भूमि दी जानी चाहिए। सहायक आयुक्त पन्नालाल मेघवाल ने कहा कि आरक्षण विरोध नहीं हो रहा है, बल्कि दलित समाज के बराबरी पर आने का विरोध हो रहा है। आईपीएस मदनगोपाल ने कहा कि दलितों के साथ भेदभाव हो रहा है।
राजनैतिक आरक्षण बढ़ा है। सरकारी नौकरियों में आरक्षण नहीं बढ़ा है। मेघवाल महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जीएल भगत ने कहा कि कुछ लोग संविधान को फेल बताकर संविधान संशोधन की साजिश रच रहे है। उन्होंने स्वराज पुस्तक के लेखक का जिक्र करते हुए कहा कि हमें इस तरह की साजिशों को नाकाम करने के लिए सजग रहने की आवश्यकता है। संचालन मदन दूधवाल ने किया।
अध्यक्षता कबीर आश्रम छोटू खाटू के महंत नानकदास महाराज ने की। विशिष्ट अतिथि सीआर प्रेमी,सुमन चिराणिया, प्रहलादसिंह ने संबोधित किया। संयोजक रामनिवास भूरिया ने संगठन की गतिविधियों की जानकारी दी। प्रदेश संयोजक रामेश्वर कल्याण ने कहा कि समाज को आगे बढ़ने के लिए नशे की लत, मृत्यु भोज, अंधविश्वास आडंबरों को छोड़ना होगा।अधिक देवी देवताओं से छुटकारा पाना होगा। बालविवाह, कन्या भ्रूण हत्या का त्याग कर आगे बढ़ना होगा।
सम्मेलन में दलितों पर बढ़ते अत्याचार का मुद्दा छाया रहा। मेघवाल महासभा के प्रदेशाध्यक्ष इंद्राजसिंह ने कहा देश में दलितों के साथ त्रासदी हो रही है। फरीदाबाद में बच्चों को जिंदा जलाया जा रहा है। हरियाणा, यूपी में हो रहा है वह दुखद है। उन्होंने मोदी के स्वच्छ भारत मिशन अभियान की आलोचना करते हुए कहा कि झाड़ू की जरूरत नहीं है। मन की सफाई करें। मेघवाल समाज ने सफाई कर दी आप लोगों की सफाई हो जाएगी। सीता के अपहरण प्रसंग का उदाहरण देते हुए इंद्राजसिंह ने कहा कि रावण की बहन का नाक काटने पर सीता का अपहरण हुआ। समाज के लोग अत्याचारों का जवाब देना सीखें। पूंजीवादी व्यवस्था हावी हो रही है। वोट पर नोट हावी हो रहे है। जिला संयोजक रामनिवास भूरिया ने कहा कि प्रदेश में दलितों पर अत्याचार बढ़े है। डांगावास में दलितों को कुचला जाता है। उन्होंने जिले में 2014 में हुए उत्पीड़न के मामले में पुलिस कार्रवाई पर असंतोष जताते हुए कहा कि 168 मुकदमों में से 60 में एफआर लगा दी गई।